मगध सम्राज्य पर शासन करने वाले वंश (क्रमानुसार) GK Tricks in Hindi
हेलो दोस्तों तो आज हम सामान्य अध्ययन में सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक मगध साम्राज्य पर शासन करने वाले विभिन्न राजवंशों को याद करेंगे क्योंकि अगर आप सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं तो आपको किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षा में यह प्रश्न अवश्य पूछ लिया जाता है की कौन सा राजवंश किस शासन से संबंधित है तो आज हम जीके ट्रिक के माध्यम से इन सभी प्रश्नों को याद करेंगे।मगध सम्राज्य पर शासन करने वाले वंश (क्रमानुसार)
GK Trick : हसिन मासुका सात
ह – हर्यक वंश
सि – शिशुनाग वंश
न – नाग वंश
मा – मौर्य वंश
सु – शुंग वंश
का – कण्व वंश
सात – सातवाहन वंश
बिम्बिसार बिंबिसार ने ब्रह्मदत्त को हराकर अंग्रेज को मगध में मिलाया।
बिंबिसार ने वैवाहिक संबंध स्थापित कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया जिसमें उसने कौशल नरेश प्रसन्न जीत की बहन महाकौशल, वैशाली के चेतन की पुत्री चलना और मध्य प्रदेश यानी पंजाब की राजकुमारी 6 माह से शादी कर कौशल वैशाली और पंजाब राज्य का मगध साम्राज्य में मिलाकर मगध साम्राज्य का विस्तार किया।
GK Trick : हसिन मासुका सात
ह – हर्यक वंश
सि – शिशुनाग वंश
न – नाग वंश
मा – मौर्य वंश
सु – शुंग वंश
का – कण्व वंश
सात – सातवाहन वंश
मगध राज्य का उदय | Magadh Rajy Ka Utkarsh
मगध राज्य प्राचीन काल का सबसे महत्वपूर्ण राज्य था क्योकि मगध राज्य इतना विशाल और समर्द्ध था की 16 महाजनपद में से चार महाजनपद मगध में ही समलित थे जिसमे मगध, कौशल, अंग और वज्जि आदि राज्य भी इसमे मिला लिए गये थे |
मगध को इतना विशाल और समर्द्ध बनाने का कारण यहाँ पर राज करने वाले राजाओं का था जिन्होंने इस साम्राज्य पर शासन किया आज हम इस लेख के माध्यम से मगध के उदय और मगध पर शासन करने वाले राजवंश को समझेंगे जो सभी परीक्षा की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है |
हर्यक वंश (Haryak Vansh)
मगध राज्य का सबसे पहला राजवंश हर्यक वंश था और इस वंश की स्थापना बिम्बिसार ने 544 की थी यह बोद्ध धर्म का अनुयायी था बिम्बिसार ने अनेक महाजनपद को मगध में मिलाया जिसमे इसके वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर अपने सम्राज में मिलाना अतिमहत्वपूर्ण रहा |
बिम्बिसार (Bimbisar)
इसके द्वारा ब्रह्मदत को हराकर अंग राज्य को मगध में मिलाया गया और राजगृह का निर्माण करके उसे अपनी राजधानी बनाया | बिम्बिसार ने लगभग 52 वर्षो तक शासन किया |बिम्बिसार बिंबिसार ने ब्रह्मदत्त को हराकर अंग्रेज को मगध में मिलाया।
बिंबिसार ने वैवाहिक संबंध स्थापित कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया जिसमें उसने कौशल नरेश प्रसन्न जीत की बहन महाकौशल, वैशाली के चेतन की पुत्री चलना और मध्य प्रदेश यानी पंजाब की राजकुमारी 6 माह से शादी कर कौशल वैशाली और पंजाब राज्य का मगध साम्राज्य में मिलाकर मगध साम्राज्य का विस्तार किया।
अजातशत्रु (Ajaatshatru)
अपने पिता बिंबिसार की हत्या कर गाड़ी पर बैठा इसका उपनाम कुणिक था।
यह जैन धर्म का अनुयाई था इसने अपने मंत्री वर्षाकर की सहायता से वैशाली पर विजय प्राप्त की थी।
उदयन (Udayin)
उदय ने अपने पिता अजातशत्रु की हत्या कर 461 ईसा पूर्व में मगध की गाड़ी पर बैठा यह जैन धर्म का अनुयाई था।
शिशुनाग वश (Shishunag Vansh)
हर्यक वंश का अंतिम राजा उदयन था उदयन के पुत्र नाग दशक को उसके आमटे शिशु नाग ने 412 ईसा पूर्व में अपरदिस्ट कर शिशुनाग वंश की स्थापना की थी।शिशुनाग ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से वैशाली स्थानांतरित की थी।
कालाशोक (Kala Shook)
शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालाशोक था जिसने वैशाली से पुनः पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया और शिशुनाग वंश पर शासन किया शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंद वर्धन था। नंद वश (Nand Vansh)
नंद वंश की स्थापना महापद्मनंद ने की थी। इस वंश का सबसे शक्तिशाली व अंतिम राजा घनानंद था जो सिकंदर का समकालीन था चाणक्य की मदद से चंद्रगुप्त मौर्य ने घानंद को पराजित किया और एक नए राजवंश की स्थापना की जिसे मौर्य वंश के नाम से जाना जाता है।मौर्य वंश (Moriya Vansh)
मौर्य वंश का संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य था जिसे सेंट्रो कोट्स कहा जाता था।
चाणक्य कौटिल्य ने चंद्रगुप्त मौर्य की मदद से घनानंद को पराजित किया इसके बाद वह चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री बना।
चाणक्य कौटिल्य ने चंद्रगुप्त मौर्य की मदद से घनानंद को पराजित किया इसके बाद वह चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री बना।
चाणक्य द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र राजनीति पर आधारित है जो चंद्रगुप्त मौर्य के समय की राजनीति के संदर्भ की संपूर्ण व्याख्या करता है।
चंद्रगुप्त ने 305 इस पर्व को सेल्यूकस निकेटर को हराया इसके बाद सेल्यूकस निकट ने अपनी पुत्री करने लिया की शादी चंद्रगुप्त मौर्य के साथ कर काबुल, कंधार, हैरात व मकरान उसे भेंट में दए।
प्रमुख राजवंश और उनके संस्थापक
- हर्यक वंश - बिम्बिसार
- नन्द वंश - महापदम नन्द
- मौर्य साम्राज्य - चन्द्रगुप्त मौर्य
- गुप्त वंश - श्रीगुप्त
- पाल वंश - गोपाल
- पल्लव वंश - सिंहविष्णु
- राष्ट्रकूट वंश - दन्तिदुर्ग
- चालुक्य-वातापी वंश - पुलकेशिन प्रथम
- चालुक्य-कल्याणी वंश - तैलप-द्वितीय
- चोलवंश - विजयालय
- सेनवंश - सामन्तसेन
- गुर्जर प्रतिहार वंश - हरिश्चंद्र/नागभट्ट
- चौहान वंश - वासुदेव
- चंदेल वंश - नन्नुक
- गुलाम वंश - कुतुबुद्दीन ऐबक
- ख़िलजी वंश - जलालुद्दीन फिरोज ख़िलजी
- तुगलक वंश - गयासुद्दीन तुगलक
- सैयद वंश - खिज्र खान
- लोदी वंश - बहलोल लोदी
- विजयनगर साम्राज्य - हरिहर एवं बुक्का
- बहमनी - हसन गंगू
- मुगल वंश -बाबर
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